डाडम हादसे पर विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस व इनेलो ने किया वॉकआउट
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डाडम हादसे पर विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस व इनेलो ने किया वॉकआउट

डाडम हादसे पर विधानसभा में हंगामा

डाडम हादसे पर विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस व इनेलो ने किया वॉकआउट

सीएम ने सीबीआई जांच की मांग को किया खारिज

बोले तीन एजेंसियां कर रही जांच, रिपोर्ट आने पर होगा अगला फैसला

चंडीगढ़। नए साल के पहले दिन भिवानी जिले के डाडम क्षेत्र में हुए खनन हादसे पर सदन में खूब हंगामा हुआ। विपक्ष ने डाडम हादसे की सीबीआई जांच कराने की मांग की, जिसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि हादसे की तीन अलग-अलग एजेंसियां जांच कर रही हैं, जांच रिपोर्ट का इंतजार करेंगे, दवाब में कोई फैसला नहीं लेंगे। 
इसके बाद कांग्रेस ने रोष स्वरूप वाकआउट किया। इससे पहले इनेलो विधायक अभय चौटाला ने भी डाडम हादसे पर वाकआउट किया। सोमवार को हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र की पांचवें दिन की कार्यवाही हंगामेदार रही। प्रश्नकाल के बाद भिवानी जिले के डाडम क्षेत्र में हुए अवैध खनन के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई। तकरीबन डेढ़ घंटा चली चर्चा हंगामेदार रही। 
विपक्ष ने आरोप लगाया कि डाडम पहाड़ी में प्रदेश का अब तक सबसे बड़ा खनन घोटाला है। पहाड़ की खुदाई के दौरान खनन के नियमों की दरकिनार किया गया। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर कांग्रेस विधायक भारत भूषण बत्रा, अफताब अहमद, गीता भुक्कल, सुरेंद्र पंवार, किरण चौधरी तथा इनेलो विधायक अभय चौटाला ने अपनी बात रखी।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने डाडम पहाड़ी पर खनन में हुई लापरवाही को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि खनन क्षेत्र के भीतर 400 फीट तक खुदाई का कार्य किया गया है। इससे सरकार को हजारों रुपये का चूना लगा है। यही नहीं एनजीटी की टीम ने जो भी लाइसेंसी व पट्टाधारी को अवैध खनन का दोषी पाया है। खनन मंत्री मूलचंद शर्मा के जवाब पर विपक्ष ने अंसतुष्टिता जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरकार का मजबूती के साथ पक्ष रखा। मुख्यमंत्री ने विपक्ष को तथ्यों सहित जवाब दिया।

सीएम ने सदन में रखा जवाब तो घिरा विपक्ष
मुख्यमंत्री ने तथ्यों सहित जवाब देते हुए बताया कि संबंधित क्षेत्र की नीलामी दिसंबर 2013 में हुई थी, 3 जनवरी 2014 को 115 करोड़ में स्वीकृत हुई। तब हमारी सरकार नहीं थी। इसके बाद कंपनी कोर्ट में गई कि एचएसआईडीसी को भी मेरे बराबर खनन की अनुमति दी गई है, मुझे घाटा हो जाएगा। इसके बाद सुंदर मार्केटन पर हमनें एजी से चर्चा की। इसके बाद एक पार्टी वेदपाल 150 करोड़ देने के लिए तैयार हुई। उसने चेक दिया। पहला टेंडर रद्द होने के बाद ब्लैंक चेक बैंक में लगया गया। बैंक में चेक लगाया गया तो डिसआर्नर हुआ। यह कोर्ट में केस चल रहा है। हमने दोबारा नीलामी करवाई। नीलामी में 115 करोड़ नहीं दिया। फिर दूसरी नीलामी हुई, तीसरी नीलामी को 20 प्रतिशत कम किया। इसके बाद 92 करोड़ 12 लाख की नीलामी आई। सीएम ने कहा कि हमने किसी पर मेहरबानी नहीं की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कुछ लोगों के इशारों पर काम हुआ है, लेकिन इन लोगों को भगा दिया गया। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने ऐतराज जताते हुए सीएम से पूछा कि किन लोगों को भगा दिया है, इसको स्पष्ट करें, इसके बाद कांग्रेस ने हंगामा शुरू कर दिया। हुड्डा ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है, किन लोगों को वेदपाल को भगाया।


इनेलो विधायक ने घेरा सरकार को
इनेलो विधायक अभय चौटाला ने डाडम क्षेत्र में हुए खनन हादसे पर सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि जब एनजीटी ने खनन पर रोक लगाई दी तो सरकार ने उसे मंजूरी क्यों दी। अभय चौटाला ने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को माइनिंग विभाग ने अयोग्य करार दे दिया था तो कंपनी ने सीएम के पास आवेदन किया और उसे मंजूरी दे दी गई। इसके बाद विस अध्यक्ष ने अभय चौटाला को उनका समय पूरा होने का हवाला देते हुए बैठ जाने की नसीहत दी। जिस पर अभय चौटाला भडक़ गए और उन्होंने वाकआउट किया।


डाडम क्षेत्र में हुए खनन हादसे मामले की जांच तीन एजेंसियों द्वारा की जा रही है और अंतिम रिपोर्ट आने तक इंतजार करना होगा। अगर आवश्यक हुआ तो सरकार बड़ी से बड़ी एजेंसी से निश्चित जांच करवाने के लिए तैयार है। किसी के दवाब में फैसला नहीं लिया जाएगा। एनजीटी के जस्टिस प्रीतम पाल, खनन सुरक्षा समिति तथा भिवानी के उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच कमेटी इस मामले की जांच कर रही है। फिलहाल इस मामले की सीबीआई जैसी एजेंसी से जांच करवाने की आवश्यकता नहीं है।

मनोहर लाल, मुख्यमंत्री हरियाणा
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राज्य में संगठित अवैध खनन का कोई मामला नहीं पाया गया है, हालांकि खनिजों की चोरी की छिटपुट घटनाएं संज्ञान में आती हैं जिन्हें कानून के अनुसार निपटाया जा रहा है। इस तरह की घटनाओं सहित अन्य पड़ोसी राज्यों से बिना वैध सहायक दस्तावेजों के (अर्थात वैध बिल/सोल पर्ची के बिना) खनिजों के परिवहन के मामले भी खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) के अधिनियम, 1957 की धारा 21 (5) के प्रावधानों के अनुसार जुर्माना लगाकर निपटाए जाते हैं।

मूलचंद शर्मा, परिवहन व खनन मंत्री